क्या “रणवीर शर्मा” जैसे कलेक्टर युवाओं को नक्सलवाद की आग में कूदने के लिए मजबूर कर रहे है!

 

राजवर्धन बल्दुआ 


भोपाल, छत्तीसगढ के सूरजपुर में मगरूर DM ने सरेराह एक युवक का न केवल मोबाइल तोड़ा बल्कि उसको तमाचा मारते हुए “कलेक्टर”साहब ने उसे समझाया की कोई भी राह चलता हुआ आम व्यक्ति उनसे बात नहीं कर सकता है।अपने पद के “मद”में चूर कलेक्टर रणवीर शर्मा यही नहीं रुके उन्होंने किसी “हिंदी फ़िल्म” की तरह पास ही खड़ी अपनी(विलेन)”गैंग”के सदस्यों को इशरा कर युवक को लाठियों से भी पिटवा दिया।कलेक्टर की ”सरकारी गैंग”में शामिल “खाकी वर्दी” वालों ने भी “बॉस”के इशारों पर तुरंत अमल कर युवक को ज़म कर धो डाला। जब यह “खाकी” वाले मार रहे थे तो ऐसा लग रहा था की यह सभी किसी राह चलते “गुंड़ा गैंग” के सदस्य है।जबकि सभी ने क़ानून के दायरे में आम जनता की सुरक्षा के लिए ही


“वर्दी” पहनने की “शपथ”ली है।परंतु युवक गिड़गिड़ाता रहा की साहब मैं अस्पताल से टेस्ट करा कर आ रहा हूँ मेरी पर्ची देख लें लेकिन सत्ता की हनक में चकना चूर “ज़िलाधीश महोदय”को यह “नागवार” गुज़रा की मैं (कलेक्टर) अपने कार्यालय में बड़ी-बड़ी फ़ाइलें फेंक दिया करता हूँ फिर यह राह चलता लड़का मेरे को अस्पताल की पर्ची बता कर ग़लत साबित करने पर तुला हुआ है।इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही देश-विदेश से काफ़ी भद्दी प्रतिक्रिया कलेक्टर के लिए आने लगी।जागरूक लोगों का कहना है की इस तरह के अड़ियल “DM”ही युवाओं को नक्सलवाद की आग में कूदने के लिए मजबूर कर रहे है।छत्तीसगढ़ वैसे ही नक्सल गतिविधियों के लिए देश भर में चर्चित है।फिर ऐसे में सरेराह किसी निर्दोष युवक के साथ सिस्टम का ऐसा मज़ाक़ उसे “जन क्रांति”लाने पर मजबूर कर देता है।वर्तमान में नक्सल समर्थक भी ऐसे ही मौक़ों की तलाश में रहते है।यह वही लाल फ़ीताशाही से बंधा सरकारी सिस्टम है जो “रणबीर शर्मा” जैसे “लाट साहब” को न केवल पैदा करता है बल्कि उनको पाल पोस कर उस समय के लिए बड़ा करता है जब “आम जनता” इनको अपनी “जूती”के नीचे दिखाई देने लगती है।देश भर में जैसे ही किसी नव युवक का अखिल भारतीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयन होता है।वह उस दिन से सभी जाति-समाज के बंधन से मुक्त हो कर IAS-IPS वाली विशेष जमात में शामिल हो जाता है।सिर्फ़ इस परीक्षा को पास भर कर लेने से उसे देश के “सबसे योग्य”युवा होने का गुमान हो जाता है।फिर मसूरी की वादियों में लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ़ एडमिनिसट्रेशन में ट्रेनिंग लेते समय तो इनके उस गुमान पर मुहर लग जाती है की वही इस देश के “नीति-निर्माता”है।वह जो चाहे वह कर सकते है।शादी में अपनी कलेक्टरी झाड़ने वाले पूर्वोत्तर के कलेक्टर शैलेश सिंह एवं छत्तीसगढ़ के कलेक्टर रणबीर शर्मा के इस तरह के सार्वजनिक व्यवहार ने मसूरी में IAS-IPS को ट्रेनिंग देने वालों को भी अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया होगा।ट्रेनिंग देने वाले प्रोफ़ेसर जब इन “लाट साहबों”के ऐसे व्यवहार को सोशल मीडिया पर देखते होंगे तो उनको बहुत आश्चर्य होता होगा की हमने तो दुनिया के सबसे बेहतरीन अफ़सर बना कर फ़ील्ड में भेजे है परंतु यह “जनता” के सामने जा कर अपनी ट्रेनिंग का कोई भी हिस्सा अमल में नहीं ला पा रहे है।यह तो मद “मस्त हाथी”की तरह हो चले है जो उसी जंगल को “मद”में आ कर उखाड़ कर बर्बाद करने लगता है जो जंगल विपरीत परिस्थितियों में भी उसे रहने-खाने-पीने की पूरी सुविधा देता रहा है।ऐसा ही कुछ हाल शैलेश सिंह एवं रणबीर शर्मा का है जो अपने कलेक्टरी के मद में उसी “जनता”को अपने पैरो तले रौंद रहे है।जिसकी सुरक्षा के लिए सरकार ने उनको कुर्सी पर बैठाया है।ख़ैर उक्त मदहोश कलेक्टर को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तुरंत हटा दिया है।परंतु साहब तो जीवन भर IAS बने रहेंगे फिर चाहे ज़िले में रहे या मंत्रालय में परंतु उस युवक की इज्जत का क्या होगा जिसकी बेइज़्जती सरेआम कर दी गई है।



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