कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग-:अब फसल में ज़हर बता कर किसानो की धान नहीं ख़रीद रही कंपनिया!




पिपरिया।इलाक़े में कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के नाम पर किसानो को फिर ठगने का मामला सामने आ रहा है।इस बार किसानो के धान के सेम्पल फेल होना बताया जा रहा है।किसानो को बताया जा रहा है की तुम्हारी धान में प्रतिबंधक दवाई मतलब की ज़हर आ रहा है।इसके चलते कम्पनी धान नहीं ख़रीदेगी।अब किसान परेशान है की हमने तो कीटनाशक दुकानदार से महँगे दाम पर जो दवाई ली वही डाली है।परंतु अब ज़हर बता कर धान नहीं ख़रीदीं जा रही है।ऐसा ही मामला होशंगाबाद ज़िले के पिपरिया विकास खंड के गड़ाघाट गाँव में देखने को मिल रहा है जंहा के किसान ब्रजेश पटेल,अवधेश पटेल ने बताया की पिपरिया की कीटनाशक दवाई फ़र्म ऐग़्रो सर्विस सेंटर के आशीष सोडनी के माध्यम से फ़ॉरचून कम्पनी को धान देने का ऐगरिमेंट किया था।परंतु अब धान के सेम्पल को फैल बताया जा रहा है।इसमें जहर की बात बोली जा रही है।ऐसे ही गाँव के घनश्याम पटेल,गोवर्धन पटेल ने भी अलग अलग कंपनियों से धान बेचने का अनुबंध किया था परंतु अब वह कंपनी भी सेम्पल फैल होने का बोल कर धान नहीं ख़रीद रही है।

:-नहीं देते टेस्ट रिपोर्ट-:

पिपरिया के आसपास सैकड़ों किसानो की धान का सेम्पल फैल होने का मुंह ज़ुबानी बोल कर कंपनियाँ धान नहीं ख़रीद रही है।जबकि किसानो को किसी भी लेब की टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी गई है।किसानो का कहना है की जो दवाई डीलर ने दी वही डाली तो फिर जहर कंहा से आया।वही धान के सबसे ज़्यादा फैल सेम्पल फ़ॉरचून राइस के होना बताया जा रहा है।फ़ॉरचून कम्पनी के मैनिज़िंग डायरेक्टर अजय बालटियाँ का कहना है की हम जो सेमपल फैल करते है उसकी रिपोर्ट डीलर को लिखित देते है।वही कीटनाशक दवा विक्रेता आशीष सोडनी का कहना है की किसान सीधे कम्पनी से सेम्पल फैल की रिपोर्ट ले सकता है।परंतु  किसानो का कहना है की जब अनुबंध में डीलर का नाम लिखा है तो हम कम्पनी से कैसे बात कर सकते है।अब डीलर का काम निकल गया है।उसने हमें ऊँचे दामों में दवाई बेंच दी है।अब धान ख़रीदने में आना कानी हो रही है।

:-सेम्पल के किसान से मांग रहे 8 हज़ार:-

फ़ॉरचून कंपनी में गए किसानो पहले सेम्पल फैल हो चुके है।ऐसे में कीटनाशक दुकानदार दोबरा सेम्पल कराने के 8 हज़ार रुपए माँग रहा है।ऐग़्रो सर्विस सेंटर के मलिक आशीष सोडनी का कहना है की 1 बार कम्पनी स्वयं के खर्चे पर सेमप्ल भेजती है।परंतु यदि सेम्पल फैल होने के बाद पुनः भेजने का पैसा तो लगेगा।वही सोडनी से जब पूछा गया कि यह सारी शर्तें अनुबंध में नहीं लिखी गई तो उनका कहना था की यह जवाब तो फ़ॉरचून कम्पनी देगी किसान सीधे उनसे बात कर सकते है।जबकि हक़ीक़त यह है कि किसान के पास सिवाय डीलर के किसी ओर का नम्बर नहीं है।बहरहाल जो भी हो परंतु इन दिनो किसान कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के नाम पर सिर्फ़ ठगा जा रहा है।

:-अनुबंध में केवल किसान के दस्तख़त:-

कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के इस खेल में किसानो को कैसे ठगा जा रहा है।इसके लिए आपको कम्पनी और किसानो के बीच हुआ अनुबंध पढ़ना होगा।जिसको इलाक़े के कीटनाशक दवा दुकानदार के माध्यम से किया गया है।इसमें किसानो के दस्तख़त है।परंतु दुकानदार का नाम लिखा हुआ है।वही अनुबंध की शर्तों में धान का ख़रीदीं भाव भी नहीं लिखा गया है।वही पूरे मामले में जान कर भी अनजान बना हुआ कृषि विभाग जम कर मलाई मार रहा है।

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