गन्ने की मिठास चख चुकी बनखेड़ी की रामदेव शुगर मिल ने भी लगाई होशंगाबाद जिले की रेत में बोली!

भोपाल-:होशंगाबाद जिले को आज कल पीले सोने के नाम से भी प्रदेश भर में पहचान मिली हुई हैं।पहले यह पीला सोना सोयाबीन की फसल को माना जाता था।परंतु आज कल इस पीले सोने का मतलब तवा-नर्मदा की सुनहरी रेत को माना जाता हैं।इस पीले सोने में अत्यधिक लाभ होने के कारण ही अब अन्य उद्योगपति भी इस सोने को बेंच कर अरबों रुपये का लाभ कामना चाहते हैं।हाल ही में होशंगाबाद जिले की तवा-नर्मदा सहित अन्य सहायक नदियों पर घोषित 118 रेत खदानों के लिए म.प्र सरकार ने ON LINE बोली लगवाई थी।जिसमें बनखेड़ी जैसे छोटे कस्बे में स्थित रामदेव शुगर मिल ने भी 177.77 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।हालांकि रामदेव शुगर को यह ठेका नहीं मिल सका और वह तीसरे नम्बर पर रही।गौरतलब हैं कि पिछले 2 दशकों में रामदेव शुगर मिल बनखेड़ी ने अपना अरबों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया हैं।जिसे बढ़ाने के उद्देश्य से ही "रामदेव" अब गन्ने की मिठास चखने के बाद पीले सोने की चाशनी का मजा लेने जा रही थी।हमारे सूत्र बताते हैं कि रामदेव शुगर मिल प्रा.ली के साथ पिपरिया के एक बड़े रेत कारोबारी भी पार्टनर के रूप में शामिल थे।परंतु होशांगाबाद जिले की एक मुश्त रेत ठेका छत्तीसगढ़ की RK ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रेक्शन कंपनी ने सबसे ज्यादा 262 करोड़ रुपये में लिया हैं।सूत्रों की माने तो इस रेत ठेके की बोली में नेताओ और अफसरों के गठबंधन वाली एक कम्पनी ने भी बोली लगाई थी।परंतु वह असफ़ल रही।




-: 3 साल के लिए मिला ठेका

वही 118 खदानों का यह रेत ठेका 3 साल के लिए दिया गया हैं।ठेका लेने वाली कंपनी को हर साल 262 करोड़ रुपये और कुछ बढ़ी हुई रकम सरकार को देनी होगी।हालांकि इतनी ऊंची बोली का नुकसान आम आदमी को ही भरना होगा क्योंकि रेत ठेकेदार अब इस रकम और लाभ को मिला कर रेत बेचेंगे।जिससे रेत बहुत महंगी हो जाएगी।जानकारों की माने तो 1 ट्राली रेत की कीमत 4 हजार रुपये तक पहुंच सकती हैं।


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