अमानक दवा माफिया-: कच्चे बिलों पर होता करोड़ों का व्यापार,कृषी विभाग का संरक्षण किसान नहीं कर पाता शिकायत!

 

पिपरिया- इलाके में अमानक कृषी दवा माफियाओ का व्यापार करोड़ो रूपये में फैला हुआ हैं।यह प्रभावशाली कृषी दवा विक्रेता किसानों को घटिया दवाई बेंच कर हर साल करोड़ो रूपये कमा रहे हैं।वही दूसरी ओर अन्नदाता की स्थिति दिन ब दिन खस्ता और कर्ज में डूबती जा रही हैं।यह दवा माफिया हजारो रुपये लीटर की दवाइयां कच्चे बिलो-इस्टीमेट पर लिख कर देते हैं।ऐसे में यदि किसी दवा से किसानों की फसल नष्ट होती हैं।तो वह सरकार के पास शिकायत भी नहीं कर पाता हैं।किसानों से कृषी विभाग सबसे पहले बिल मांगा करते हैं।वही जब किसान कच्चा बिल या स्टीमेट की कॉपी दिखाते हैं तो उनको लौटा दिया जाता हैं।अन्नदाता को लूटने का यह पूरा खेल कृषी विभाग की मिलीभगत से खेला जाता हैं।क्योंकि यदि कृषी विभाग सख्त हो जाये तो कृषी दवा दुकानदार को किसानों को पक्का बिल देना ही पड़ेगा।परंतु कृषी अधिकारी किसानों के हितों का संरक्षण करने के बजाय इन अमानक दवा माफियाओं के लिए काम करता हुआ दिखाई देता हैं।जबकि राज्य सरकार ने कृषी विभाग का गठन ही किसानों के हितों के लिए किया हैं।परंतु आज तक कृषी विभाग ने कोई भी अभियान नहीं चलाया जिसमें इन दुकानदारों को बिल देने के लिए बाध्य किया गया हो।(pipariyapeoples.com) सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अन्नदाता को ठगने वालों   के खिलाफ सख्त कार्यवाही की बात करते हैं।परंतु कृषी विभाग ऐसे लुटेरों को संरक्षण दे रहा हैं।पिपरिया-बनखेड़ी-सोहागपुर में किसानों की हजारो एकड़ की धान की फसल अमानक कृषी दवाइयों के कारण सूख गई हैं।किसान चिल्ला-चिल्ला कर आरोप लगा रहा हैं।परंतु उसकी सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा हैं।

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