यूरिया घोटाला-:इफको बाजार को बचा रहा कृषी विभाग,मुख्यमंत्री की मंशा के खिलाफ!
पिपरिया-:सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लगातार यूरिया कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त निर्देश दे रहे है।परंतु कृषी विभाग इन निर्देशों को हवा में उड़ाते हुए एक ही गांव के 2 एक जैसे प्रकरणों में अलग अलग कार्यवाही कर रहा हैं।पहला प्रकरण गाड़ाघाट सहकारी समिति का हैं।जिसमें फर्जी तरीके से POS मशीन के माध्यम से 9 टन यूरिया सोसायटी में काम करने वाले भूमिहीन मजदूर संदीप प्रजापति को बांटना बताया था।इस मामले में जंहा समिति प्रबंधक नारायण सिंह पटेल एवं DMO गोदाम पिपरिया प्रभारी संजीव बर्मन को जांच उपरांत दोषी पाते हुए मंगलवारा थाना में धारा 420(34)के तहत अपराध पंजीबद्ध करवाया गया हैं।तो वही इसी गांव के इफको सेंटर प्रभारी राजीव तिवारी द्वारा भी POS मशीन के माध्यम से उसी भूमिहीन मजदूर संदीप प्रजापति को 28 टन यूरिया बांटना बताया गया हैं।दोनों ही मामलों में इस हम्माल के अंगूठे के निशान और उसका आधार कार्ड उपयोग किया गया हैं।सहकारी समिति के खिलाफ तो कार्यवाही हो गई हैं।परंतु इफको सेंटर को कृषी विभाग ने अभयदान दे दिया हैं।आम किसानों का कहना हैं कि जब दोनों ही मामले एक ही गांव के हैं।एक सा कृत्य किया गया हैं तो फिर एक में FIR और दूसरे में अभय दान क्यों दिया जा रहा हैं।वही सूत्रों की माने तो इफको सेंटर प्रभारी की जांच कृषी विभाग ने करते हुए बताया हैं कि कोरोना काल में किसान POS मशीन में अंगूठा नहीं लगा रहे थे।उन किसानों ने ही बयान दिया हैं कि उनने यूरिया खरीदा हैं।जबकि सूत्रों की माने तो इफको केंद्र प्रभारी राजीव तिवारी के प्रभाव के आगे कुछ किसानों ने लिख कर दे दिया हैं कि वह मूंग सीजन में यूरिया खरीद कर ले गए थे।जबकि असल में इन किसानों ने यूरिया खरीदा ही नहीं हैं।मामले में बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर क्यों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के खिलाफ कृषी विभाग इस यूरिया घोटाले में इफको केंद्र प्रभारी को बचा रहा हैं।जबकि कृषी विभाग की ही जिम्मेदारी बनती थी कि इलाके में यूरिया की कालाबाजारी न हो परंतु किसानी सीजन में भी विभाग आंखे मूंद कर बैठा रहा और अभी जब यूरिया घोटाला उजागर हुआ हैं तब भी इफको बाजार प्रभारी को बचाया जा रहा हैं।
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