यूरिया घोटाला-: सहकारी समिति का सुपरविजन करने वालों ने क्यों मूंद ली आंखें!






पिपरिया -:हर साल किसानी सीजन में यूरिया का गोल माल कर कृतिम किल्लत पैदा की जाती हैं।जिससे की किसान किसी भी दाम में यूरिया को नगद और क्षमता से ज्यादा खरीद ले।इस वर्ष भी ऐसा ही किया गया हैं।मूंग के सीजन में जम कर यूरिया की कालाबाजारी की गई हैं।परन्तु इस कालाबाजारी पर जिम्मेदारों ने आंखे मूंद कर किसानों को लुटने दिया हैं।पिपरिया की सेवा सहकारी समिति गाड़ाघाट में 9 टन यूरिया एक हम्माल का अंगूठा लगवा कर उसे बेचना दर्शाया गया हैं।जबकि हम्माल के पास खेती की 1 इंच जमीन भी नहीं हैं।वही इस घोटाले को केंद्र सरकार ने जिलेवार टॉप 20 बायर्स की लिस्ट तैयार करवाके जांच करवाई तो पता चला की एक ही व्यक्ति को कई टन यूरिया देना दर्शाया जा रहा हैं।केंद्र के निर्देश पर शुरू हुई जांच में यह घोटाला पकड़ाया हैं।जिसमें समिति प्रबन्धक नारायण पटेल व डीएमओ गोदाम प्रभारी संजीव बर्मन पर धारा 420 (34) में FIR दर्ज कराई गई हैं।परंतु इस पूरे मामले में कई बड़े सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सहकारी समितियों की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों की नजर से यह मामला कैसे बच गया।क्या होशंगाबाद जिले का कृषी अमला नहीं जानता था कि सहकारी समितियों और इफको सेंटर में हम्मलों के अंगूठे लगा कर POS मशीन से यूरिया की फर्जी निकासी बताई जा रही हैं।जबकि जिला सहकारी बैंक लगातार अपने अधीन आने वाली सोसायटी की जांच के लिए अलग से ही पर्यवेक्षक नियुक्त किये हुए हैं।परंतु इसके बाद भी इस यूरिया घोटाले पर किसी की नजर नहीं पड़ना काफी आश्चर्य का विषय हैं।वही सूत्रों की माने तो अभी भी जिला सहकारी बैंक प्रबंधन गाड़ाघाट सोसायटी प्रबंधक को बचाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा हैं।बैंक परिसर में तो प्रदेश के आला अधिकारियों के FIR के आदेश को ही गलत बताया जा रहा हैं।सूत्र बताते हैं कि बैंक के लोग कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के निर्देश थे कड़ी कार्यवाही करने के इस चक्कर में ऐसा हो गया हैं।वही बैंक वाले यह नहीं बता पा रहे हैं कि सोसायटी का सुपरविजन करने वाले अपनी आंखें क्यों मूंदे हुए थे।जबकि हर विभाग किसानों के हितों की बात केवल करता हैं।

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