एसपी होशंगाबाद रहते हुए जिले में विद्यांजलि योजना चलाने वाले युवा आईपीएस अधिकारी



आशुतोष प्रताप सिंह बने संचालक म.प्र जनसम्पर्क
भोपाल। राज्य सरकार ने 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी आशुतोष प्रताप सिंह को एक बार फिर संचालक जनसम्पर्क बनाया हैं।2018 में भी आशुतोष प्रताप सिंह को जनसम्पर्क संचालक बनाया गया था। उस दौरान श्री सिंह काफी कम समय के लिए संचालक बने परंतु इस दौरान उनने पत्रकारो के कल्याण के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकार से करवाया तो वही पत्रकारों की छोटी से छोटी समस्याओं को सूबे की सरकार के समक्ष रख कर उनका निदान भी त्वरित करवाया था।अपने पूर्व कार्यकाल के दौरान सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार आधुनिक तरीकों से करवाने की दिशा में भी जम कर कार्य किया था।श्री सिंह अब एक बार फिर जनसम्पर्क में अपनी नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। जनसम्पर्क संचालक रहते हुए आशुतोष प्रताप सिंह पत्रकारों के लिए सहज-सरल उपलब्ध रहा करते थे। वह रोजाना नियमित कार्यालय में बैठ कर प्रदेश के कोने-कोने से आये पत्रकारों की समस्या व सुझाव काफी गंभीरता से सुना करते थे। गौरतलब हैं कि होशंगाबाद जिला पुलिस कप्तान रहते हुए आशुतोष प्रताप सिंह ने सोशल पुलिसिंग की शुरुआत करते हुए सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल तक के विद्यार्थीयो के लिए विद्यांजलि योजना की शुरुआत करी थी। जिसमें सरकारी स्कूलों में पुलिस अधिकारी बच्चों को पढाने जाया करते थे। जिले के हर पुलिस अनुविभाग के एसडीओपी एवं थानों के टी.आई को एसपी का निर्देश था कि वह सरकारी स्कूलों में पहुंच कर बच्चों की क्लास अवश्य लें। स्वंय एसपी आशुतोष प्रताप सिंह भी होशंगाबाद जिले के अधिकांश हायर सेकेंडरी स्कूलों में जा कर 10 वीं एवं12 वीं के बच्चों को पढ़ाया करते थे। जिससे वह जिले भर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एस.पी बन गए थे। बच्चे सीधे मोबाइल से इनके संपर्क में रहा करते थे। स्कूली बच्चे दिन रात कभी भी बेझिझक एसपी साहब को फोन लगा कर प्रतियोगी परीक्षाओं की जानकारी लेते रहते थे। विद्यांजलि योजना का खासा लाभ जिला पुलिस और सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चें दोनो को ही मिला था। जिला पुलिस को दोहरा फायदा हुआ एक तो नौजवानों और पुलिस के बीच दोस्ताना सबंध बने और युवाओं के बीच पुलिस की छवि काफी  उज्जवल हुई थी। वही स्कूली बच्चे सीधे जिले के एस.पी रहे आशुतोष प्रताप सिंह के सीधे संपर्क में आ कर क्राइम सहित अन्य सामाजिक घटनाओं की जानकारी बेधड़क पुलिस को दिया करते थे।

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