"पाले भाई जान" के हाथ से बनी अखंड ज्योत से रौशन होंगें दुर्गा पांडाल!

"पाले भाई जान" के हाथ से बनी अखंड ज्योत से रौशन होंगें दुर्गा पांडाल!

पिपरिया-:इस समय भले ही देश भर में साम्प्रदायिक ताकतें हावी हो परंतु उत्सवधर्मी पिपरिया में आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता के कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।नवरात्र में जंहा दुर्गाजी के पंडालों को बनाने में मुस्लिम भाई लोग सहयोग किया करते हैं तो वही मंगलवारा चौक पर पाले भाई जान की दुकान पर भी दुर्गा समितियों के सदस्यों की भारी भीड़ देखी जा सकती हैं।शेख अल्हा पाले पिछले 5 दशकों से नवरात्र में ज्योति कलश बनाने का काम किया करते हैं।यह कलश हर दुर्गा समिति के साथ ही कई अन्य नागरिक भी खरीदा करते हैं।इस ज्योतिकलश में माता रानी के स्थापना के समय जलने वाली अखंड ज्योत को रखा जाता हैं।9 दिनों तक नवरात्र में बरसात हो या फिर आंधी-तूफान सभी से "ज्योत" को सुरक्षित रखने की जिम्मेदरी इस कांच के बने कलश की होती हैं।जिसको शहर में पाले भाई जान ही बनाते हैं।पाले भाई के अनुसार वह 50 साल से यह काम कर रहे हैं।शुरुआत में इस ज्योतिकलश की कीमत 50 रुपया हुआ करती थी।जो आज 400-500 रुपये हो गई हैं।पाले भाई जान ने बताया की जो लोग इस कलश को खरीदने आतें हैं वह उनका धर्म नहीं पूछा करते हैं।वही स्वयं भी हर वर्ष नवरात्र के आने की राह देखा करते हैं।पाले भाई से जब पूछा गया कि इन दिनों देश में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर खाने और अन्य कार्य को बंटा जा रहा हैं तो उनका कहना था कि मेरे हाथ के बने यह ज्योतिकलश न जाने कितने मंदिरों में अखंड ज्योत की रक्षा कर रहे हैं।यह मुझे भी नहीं मालूम हैं।देश के नेता हमको वोट के खातिर हिन्दू-मुस्लिम में बांट रहे हैं।

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