गरीब आदमी को कैसे मिलेगा न्याय जब न्यायालय में वकील - पुलिस और सरकारी अधिवक्ता ही आपस में लड़ रहे हों!



पिपरिया-:गरीब आदमी न्याय के लिए देश के न्यायलयों पर पूरी तरह से न केवल निर्भर हैं।बल्कि उसे विश्वास हैं कि न्यायालय के अंदर किसी प्रकार की कोई सेटिंग नहीं होती हैं।परंतु इन दिनों पिपरिया न्यायालय परिसर में अजीबो गरीब विवाद चल रहा हैं।यह विवाद सरकारी वकीलों-स्थानीय अधिवक्ताओं और पुलिस के बीच चल रहा हैं।हाल ही में पिपरिया बार एसोसिएशन ने एक बैठक कर सरकारी वकील कैलाश पटेल, विक्रम चौधरी,सोहन लाल चौरे के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया हैं।जिसमें आरोप लगाया गया हैं कि यह तीनों पुलिस,जीआरपी और वन विभाग से मिल कर आरोपियों को कुछ एक वकीलों के पास ही अपना केस ले कर भेजने का दवाब बनाते हैं।वही पिपरिया के दोनों थानों के कुछ जांच कर्ता पुलिस अधिकारी भी इन सरकारी वकीलों से मिली भगत कर ऐसा कर रहे हैं।बार सचिव अधिवक्ता कमलेश पुरविया के अनुसार सरकारी वकीलों को लेकर कई अधिवक्ताओं ने शिकायत करी थी कि यह चालान फारवर्ड करने के नाम पर पैसे मांगते हैं।इसके चलते ही बैठक कर इनकी शिकायत मुख्यमंत्री, विधी मंत्री व कलेक्टर से करने का प्रस्ताव पारित किया हैं।वही सहायक लोक अभियोजन अधिकारी विक्रम चौधरी के अनुसार इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं।क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में पिपरिया कोर्ट में सजा का प्रतिशत सबसे ज्यादा हैं।वही

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