भाजपा कार्यकर्ताओ को बंधुआ मजदूर समझना बंद करें "हुजूर"!
भाजपा कार्यकर्ताओ को बंधुआ मजदूर समझना बंद करें "हुजूर"!
राजवर्धन बल्दुआ पिपरिया-:भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओ को आज-कल के नेता बंधुआ मजदूर समझ रहे हैं।तभी तो समर्पित कार्यकर्ताओ को आम चुनाव में भी उम्दा खाना नहीं मिल पा रहा हैं।जबकि नेताओ के लिए आलीशान रेस्टोरेंट से VVIP खाना बुलाया जा रहा हैं।एक दौर था जब गांव में इका-दुक्का लोग ही भारतीय जनता पार्टी का झंडा लगाया करते थे।उस दौर में भी संघर्ष करने वाला कार्यकर्ता आज 15 साल की सूबे की और 5 साल की केंद्र की सत्ता के बाद भी चुनाव प्रचार के दौरान सिर्फ अच्छे भोजन को तरस रहा हैं।करोडों रुपये के चुनाव प्रचार में भी जमीनी कार्यकर्ताओ की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। 45 डिग्री की जला देने वाली गर्मी में यदि हर मतदाता के घर पर अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगने जाता हैं तो वह हैं पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता परंतु ऐसे कार्यकर्ताओ के हिस्से का भोजन भी "मैनेजमेंट गुरु" खा जाया करते हैं तब उस अदने से कार्यकर्ता को बहुत गुस्सा आता हैं।जो कांग्रेस के डंडे और झंडे के आगे इलाके में न तो झुका और न रुका हैं।हर बार चुनाव में फिर वह चाहे ठाकुरदास नागवंशी को 3 बार विधायक बनाना हो या फिर धुर विरोधी कांग्रेस पार्टी से भाजपा में आये सांसद राव उदय प्रताप सिंह को बिना आम रायशुमारी के टिकिट मिलते ही जी जान से रिकार्ड मतों से जीताने के लिए काम करना हो यंहा तक की पार्टी के पूर्व जिला अद्यक्ष हरिशंकर जायसवाल के पुत्र राजीव जायसवाल को नगर पालिका अद्यक्ष की टिकिट मिली तब भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ने बिना मान मन्नावल के जम कर काम किया हैं।जिसका परिणाम सभी के सामने हैं।परंतु फिर भी ठगा सा महसूस कर रहा हैं तो वह हैं भारतीय जनता पार्टी का स्थानीय मूल कार्यकर्ता। इसी कार्यकर्ता को हर बार गुटों के नाम पर बांट दिया जाता हैं।यह जब अपना कोई कार्य कराने अपने नेताओ के पास जाता हैं तो इस मूल कार्यकर्ता को घुमाया जाता हैं।क्योंकि यह दूसरे नेता के गुट से हैं।वही परेशान भाजपा कार्यकर्ता का कहना हैं कि यह गुटबाजी तो नेताओ ने बनाई हैं।हम तो हर चुनाव में फूल के लिए कार्य करते हैं।परंतु नेता इस जीत को अपनी मान लेते हैं।
राजवर्धन बल्दुआ पिपरिया-:भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओ को आज-कल के नेता बंधुआ मजदूर समझ रहे हैं।तभी तो समर्पित कार्यकर्ताओ को आम चुनाव में भी उम्दा खाना नहीं मिल पा रहा हैं।जबकि नेताओ के लिए आलीशान रेस्टोरेंट से VVIP खाना बुलाया जा रहा हैं।एक दौर था जब गांव में इका-दुक्का लोग ही भारतीय जनता पार्टी का झंडा लगाया करते थे।उस दौर में भी संघर्ष करने वाला कार्यकर्ता आज 15 साल की सूबे की और 5 साल की केंद्र की सत्ता के बाद भी चुनाव प्रचार के दौरान सिर्फ अच्छे भोजन को तरस रहा हैं।करोडों रुपये के चुनाव प्रचार में भी जमीनी कार्यकर्ताओ की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। 45 डिग्री की जला देने वाली गर्मी में यदि हर मतदाता के घर पर अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगने जाता हैं तो वह हैं पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता परंतु ऐसे कार्यकर्ताओ के हिस्से का भोजन भी "मैनेजमेंट गुरु" खा जाया करते हैं तब उस अदने से कार्यकर्ता को बहुत गुस्सा आता हैं।जो कांग्रेस के डंडे और झंडे के आगे इलाके में न तो झुका और न रुका हैं।हर बार चुनाव में फिर वह चाहे ठाकुरदास नागवंशी को 3 बार विधायक बनाना हो या फिर धुर विरोधी कांग्रेस पार्टी से भाजपा में आये सांसद राव उदय प्रताप सिंह को बिना आम रायशुमारी के टिकिट मिलते ही जी जान से रिकार्ड मतों से जीताने के लिए काम करना हो यंहा तक की पार्टी के पूर्व जिला अद्यक्ष हरिशंकर जायसवाल के पुत्र राजीव जायसवाल को नगर पालिका अद्यक्ष की टिकिट मिली तब भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ने बिना मान मन्नावल के जम कर काम किया हैं।जिसका परिणाम सभी के सामने हैं।परंतु फिर भी ठगा सा महसूस कर रहा हैं तो वह हैं भारतीय जनता पार्टी का स्थानीय मूल कार्यकर्ता। इसी कार्यकर्ता को हर बार गुटों के नाम पर बांट दिया जाता हैं।यह जब अपना कोई कार्य कराने अपने नेताओ के पास जाता हैं तो इस मूल कार्यकर्ता को घुमाया जाता हैं।क्योंकि यह दूसरे नेता के गुट से हैं।वही परेशान भाजपा कार्यकर्ता का कहना हैं कि यह गुटबाजी तो नेताओ ने बनाई हैं।हम तो हर चुनाव में फूल के लिए कार्य करते हैं।परंतु नेता इस जीत को अपनी मान लेते हैं।
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