बैतूल की डिप्टी कलेक्टर ने संविधान को साक्षी मान रचाई शादी!

बैतूल की डिप्टी कलेक्टर ने संविधान को साक्षी मान रचाई शादी!


बैतूल। आपने अभी तक बहुत शादीयां देखी होंगी अलग अलग रीतिरिवाजों की शादियों के आप गवाह भीबने होंगे।कोई सात फेरे लेता हैं तो कोई कोर्ट में तो कोई मंदिर और अन्य धार्मिक प्रतीक चिन्हों और प्रतिमाओं को साक्षी मानकर सात जन्म तक साथ रहने की कसमें-वादे कर विवाह रचाता है।अनेक शादीया बुद्ध विहारों में भी हुई परन्तु सभी शादियां में प्रतीक चिन्हों और आडम्बर ही पहले पायदान पर देखने और सुनने में आये है।कुछ शादीया आश्चर्यजनक रूप से भी हुई है जो रुपयों की चकाचौंध को महिमामंडित करने के लिए हुई है।जिनकी अक्सर चर्चा गाहे बगाहे होती रहती है।चलिए अब आपको एक ऐसी शादी के संबंध में जानकारी देते है जो बेहद अनुठी है।इस शादी में न कोई पंडित है न कोई मंदिर ना ही कोई धार्मिक प्रतीक चिन्ह भी नहीं हैं।शादी के सादे सामारोह में भारत का संविधान है। जिसको हाथ मे लेकर इस जोड़ी ने विवाह रचाया। हालांकी यह अनुठी शादी बैंकाक के एक बुद्ध विहार में ही हुई लेकिन कोई रस्म रिवाज नहीं बस इस शादी के लिए साक्षी संविधान ही रहा ।इस अनूठे विवाह की दुल्हन बैतूल की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे है। जबकी दूल्हा गुड़गांव के सुरेश अग्रवाल है।इस युगल जोड़ी ने भारत के संविधान पर पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए निर्णय लिया और दोनो निकल पड़े दूर देश थाईलैंड के बैंकांक में और शादी करने का दिन भी चुना 26 जनवरी जिस दिन भारत मे संविधान लागू हुआ था।26 जनवरी 2019 को बेहद सादे सामारोह में संविधान की प्रति हाथ मे थामकर दोनो ने एक दूसरे को माला पहनाकर हमसफ़र बन गए।इस दौरान दोनों परिवारों के खास सदस्य मौजूद रहे।इस आशय की जानकारी साझा करते हुए डिप्टी कलेक्टर ने बताया की वे मूल रूप से जिला बालाघाट तहसील कीरनापुर के एक छोटे से ग्राम चिखला की रहने वाली है। माता पिता का जीवन और उनका खुद का जीवन भी काफी संघर्षो से भरा हुआ है।बहुत ही कठीन परिस्थीतीयो में अध्ययन कर वह इस पद तक पहुची।निशा बांगरे को बचपन से भारत के संविधान के प्रति काफी आस्था और अटूट विश्वास रहा है। उनका मानना है की यह दुनिया का बेहतरीन संविधान है। जो अनेकता में एकता का संदेश देने के साथ ही सभी वर्गों के मौलिक अधीकारो को अकछुन्न बनाये रखता है।निशा बांगरे के मुताबिक उनका मुख्य ध्येय यही है की सभी वर्गों के लोग  संविधान की रक्षा करे।निशा ने बताया की इस तरह संविधान को साक्षी मानकर विवाह रचाने के बहाने वे समाज को एक संदेश देना चाहती है की हजारों शादीया अनेक पद्धतियों और अग्निकुंड के फेरे लेकर सम्पन्न होने के बावजूद टूट जाती है।फिर दोनो परिवार कोर्ट कचहरी के वर्षो चक्कर काटते रहते है।उन्हें खुशी है की उनके पति ने भी संविधान के प्रति अटूट विश्वास दर्शाया और अनेकों बार उसकी मिसाल भी पेश की जिससे अभिभूत होकर उन्हों जो निर्णय लिया उससे वे संतुष्ट है।डिप्टी कलेक्टर निशा ने इस प्रतिनिधि से चर्चा में यह भी बताया की मैं और मेरे पति संविधान की प्रस्तावना से ही समान रूप से सम्यक विचार रखते है।संविधान की मूल भावना को समझकर यह निर्णय लिया।अंत मे निशा बांगरे ने समाज को खासकर लड़कियों को यह संदेश दिया है की वह पुरुष वादी मानसिकता में ढलने के बजाय खुद स्वतंत्र होकर अपने भविष्य का निर्णय स्वयं लेकर समाज के लिए प्रेरणा बने।

No comments

Powered by Blogger.