पीली मिट्टी उत्पात,यदि किसी ओर ने मचाया होता तो!
पीली मिट्टी उत्पात,यदि किसी ओर ने मचाया होता तो!
पिपरिया-:हिन्दू समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार नवरात्री शहर में बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई।यह महापर्व शांति और व्यवस्थित मन सके इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने कई राउंड में जनता सहित नवदुर्गा उत्सव मनाने वाली समितियों से बात की थी।वही अंत में शांति समिति की बैठक मंगलवारा थाना परिसर में आयोजित की गई थी। जिसमे निर्णय लिया गया था की मूर्ति विसर्जन के दिन समितियां पीली मिट्टी का उपयोग नहीं करेंगी।परंतु विसर्जन के दिन जितने भी जुलूस निकले वह सब पीली मिट्टी से सराबोर थे।मंगलवारा चौराहे पर इस मिट्टी के आसमान धरती पर उतर आए थे।वही इन समितियों को रोकने में पुलिस-प्रशासन भी मजबूर दिखाई दिया।दरअसल देश ही नहीं प्रदेश में भी हिंदुत्व की रक्षा करने वाली सरकार हैं।जिसके चलते किसी भी अधिकारी ने इस सरकार और उसके कार्यकर्ता को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाया।वही दूसरी ओर नवरात्र के दौरान मोहर्रम का त्यौहार भी था।उसी शांति समिति में मुस्लिम समुदाय के लिए जो तय हुआ उसका समुदाय ने पालन किया।परंतु दुर्गा समितियों ने ना केवल जनता को परेशान किया वरन बाजार में दुकान लगाने वालों को यह बोलने का मौका भी दिया की यह पीली मिट्टी का "उत्पात" किसी ओर समुदाय ने मचाया होता तो क्या पिपरिया शहर और उसके रखवाले चुपचाप ऐसे ही आंख बंद करे बैठे होते....
पिपरिया-:हिन्दू समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार नवरात्री शहर में बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई।यह महापर्व शांति और व्यवस्थित मन सके इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने कई राउंड में जनता सहित नवदुर्गा उत्सव मनाने वाली समितियों से बात की थी।वही अंत में शांति समिति की बैठक मंगलवारा थाना परिसर में आयोजित की गई थी। जिसमे निर्णय लिया गया था की मूर्ति विसर्जन के दिन समितियां पीली मिट्टी का उपयोग नहीं करेंगी।परंतु विसर्जन के दिन जितने भी जुलूस निकले वह सब पीली मिट्टी से सराबोर थे।मंगलवारा चौराहे पर इस मिट्टी के आसमान धरती पर उतर आए थे।वही इन समितियों को रोकने में पुलिस-प्रशासन भी मजबूर दिखाई दिया।दरअसल देश ही नहीं प्रदेश में भी हिंदुत्व की रक्षा करने वाली सरकार हैं।जिसके चलते किसी भी अधिकारी ने इस सरकार और उसके कार्यकर्ता को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाया।वही दूसरी ओर नवरात्र के दौरान मोहर्रम का त्यौहार भी था।उसी शांति समिति में मुस्लिम समुदाय के लिए जो तय हुआ उसका समुदाय ने पालन किया।परंतु दुर्गा समितियों ने ना केवल जनता को परेशान किया वरन बाजार में दुकान लगाने वालों को यह बोलने का मौका भी दिया की यह पीली मिट्टी का "उत्पात" किसी ओर समुदाय ने मचाया होता तो क्या पिपरिया शहर और उसके रखवाले चुपचाप ऐसे ही आंख बंद करे बैठे होते....
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