मैं काटू,मैं वृक्ष लगाऊँ

मैं काटू,मैं वृक्ष लगाऊँ


पिपरिया-तुम काटो मैं वृक्ष लगाऊ कविता की पंक्ति को नगर पालिका परिषद् ने उल्टा कर दिया हैं। इस पंक्ति को सुधारते हुए नगर पालिका पिपरिया आज कल मैं काटु,मैं वृक्ष लगाऊ की पंक्ति गुनगुना रही हैं।नगर में छदम विकास के नाम पर इन दिनों हरे पेड़ो की बलि दी जा रही हैं।यह काम रात के अँधेरे में नहीं दिन के उजाले में किया जा रहा हैं।लोगो का कहना हैं की मानसून में नगर पालिका खुद पौधा रोपण का अभियान चला जनता के पैसो की बर्बादी करेगी। लेकिन अभी शहर की मुख्य सड़क के किनारे 50-100 साल पुराने पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही हैं। सरेआम कट रहे इन पेड़ो को रोकने वाला कोई भी जिम्मेदार दिखाई नहीं दे रहा हैं।जबकी यह पेड़ आम जनता को ना केवल गर्मी से निजात दिलाते हैं बल्कि शहर को हरा भरा रखने में भी कारगर साबित होते हैं।इन पेड़ो की कटाई के खिलाफ कोई भी पर्यावरणविद् सामने नहीं आया हैं। नगर में मरणासन्न स्तिथी में पडी कांग्रेस बीजेपी परिषद् का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।गौरतलब हैं की 13 साल पहले भी होशंगाबाद-पचमढ़ी बीओटी रोड बनने के दौरान पिपरिया के कई पेड़ो की बलि दी गई थी।बदले में सड़क ठेकेदार को ज्यादा पेड लगाना था जो की आज तक नहीं लगाये गए हैं। वही जनता का कहना हैं की इन पेड़ो को काट कर आखिर कंहा ले जाया जा रहा हैं।इसका पता भी लगाया जाना चाहिए।

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