फसल बेंच कर भी बच्चों के लिए कुछ खरीद नहीं पा रहे किसान

फसल बेंच कर भी बच्चों के लिए कुछ खरीद नहीं पा रहे किसान 

पिपरिया।किसान जब अपने घर से फसल बेचने मंडी के लिए निकलता हैं तो उसके सीने में हजारों ख्वाब हिलोरे मारा करते हैं। किसान की सोच होती थी की वह अपनी फसल को बेच कर अपने घर के लिए कुछ ना कुछ खरीद कर ले जायेगा।घर पर किसान का इंतजार कर रहे बच्चे राह तंकते थे की पिता जी आज शहर से मिठाई या फिर कोई खिलौना लेकर तो जरूर आएंगे।घर की महिलाये जो फसल बेचकर आने वाले रूपये से घर का काम निपटने की आस लगाय बैठी रहती थी।परंतु सरकार की नोट बंदी ने किसान सहित उसके परिवार वालो की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया हैं। नोट बंदी के पहले किसान को उसकी उपज का भुगतान नगद में हुआ करता था परंतु वर्तमान में किसान को चैक से या rtgs से भुगतान किया जा रहा हैं।इस स्तिथी में किसान को उपज का भुगतान 3 से 4 दिन में मिल रहा हैं।इसके चलते किसान दैनिक जरुरत की सामग्री भी नहीं खरीद पा रहे हैं।इस नोट बंदी से किसान सहित उसके परिवार वाले सबसे जयादा परेशान हैं। नोट बंदी के चलते किसानो की उपज को ओने पौने दामो में व्यापरी खरीद रहे हैं।किसान के हाथ में मिलने वाली नगदी व्यवस्था से बाजार के छोटे-बड़े सभी दुकानदार अपनी रोजी रोटी चलाया करते थे पर अब ऐसा नहीं हो पा रहा हैं।दुकानदार भी इस नोट बंदी का विरोध कर रहे हैं।

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