श्रीरामजानकी मंदिर में बैठ कर "रावण" का गुणगान

श्रीरामजानकी मंदिर में बैठ कर "रावण" का गुणगान

श्रीरामजानकी मंदिर में बैठ कर "रावण" का गुणगान
पिपरिया।बुराई पर अच्छाई की जीत के इस महापर्व पर जंहा एक ओर लोग एदूसरे को बधाई दे रहे हैं।तो वही सोशल मीडिया पर कई लोग रावण का गुणगान करते हुए दिख रहे हैं।यह लोग रावण को महिमा मंडित करते हुए उसे महा पराक्रमी बता लोगो से रावण दहन पर सवाल कर रहे हैं।आम लोग यदि इस तरह की निरर्थक बहस करें तो उनको समझाया जा सकता हैं परंतु जब श्रीराम जानकी मंदिर के तथाकथित महंत का महंत पुत्र ही श्रीराम जानकी मंदिर में बैठकर इस तरह से रावण को दशहरा जैसे महापर्व पर महापराक्रमी और सामाजिक बताने लगे तो फिर कहना ही क्या हैं। पिपरिया के मंगलवार चौक पर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर के स्वयंभू महंत यंगेश्वर दास ने अपने फेसबुक अकाउंट पर रावण का समर्थन करते हुए एक नहीं कई पोस्ट डाली हैं।इन पोस्ट में यंगेश्वर लिख रहा हैं की रावण ब्रम्हांड का महापराक्रमी और सबसे ज्यादा विद्वान् था।यंगेश्वर  रावण दहन को रात के समय करने पर भी आपत्ति ले रहा हैं ।इस तथाकथित महंत के अनुसार राम और रावण बराबरी के थे तब ही उन दोनों के बीच युद्ध हुआ हैं यह महंत लोगो से बोल रहा हैं की रावण को जलाने वाले उसके नाख़ून के बराबर भी नहीं हैं।महंत ने रावण को महिमा मंडित कर रावण को ब्राह्मण बताते हुए भी कई लाइन लिखी हैं।इस पोस्ट को लेकर लोगो का कहना हैं की पिपरिया के रामजानकी मंदिर में यह लोग साल भर कार्यक्रम तो करते हैं पर दशहरा के दिन रामजानकी मंदिर के महंत ही रावण का गुणगान कर रहा हैं जो धर्म विरुद्ध हैं।वही इस पूरे मामले में पिपरिया के हिंदू संग़ठन भी चुप्पी साधे हुए हैं।गौरतलब हैं की पिपरिया का रामजानकी मंदिर इन महंतो के कारण पिछले कई सालों से विवादों में चल रहा हैं।मंदिर संपत्ति पर दुकानों का निर्माण कर इन दुकानों को लाखों रूपये में बेचा गया हैं इन दुकानों के निर्माण के लिए भगवान रामजानकी को गर्भ गृह से विस्थापित कर प्रथम तल पर स्थापित कर दिया गया हैं।इन महंतो ने मंदिर के दुकानदारों को इतना परेशान किया की वह कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर हुए।इसके बाद अब रावण का गुणगान करना समझ से परे हैं।पिपरिया की जनता का कहना हैं की प्रशासन को इस तरह के महंतो की जाँच करनी चाहिए जो भगवान राम की सेवा कर मेवा खा रहे हैं परंतु गुणगान रावण का कर रहे हैं।



2 comments:

  1. मेरे बड़े भैया....रावण महान था यह बात निशंदेह है और धर्म के अनुसार रावण ने अपनी मुक्ति प्राप्ति हेतु यह कार्य किया जब ही प्रभु श्री राम ने अपने अनुज लक्षमन से उनको प्रणाम कर आशीर्वाद के लिए बोला।।यह त्यौहार का अर्थ है जो मानव के अंदर रावण रूपी अंहकार रूपी बीमारियां है उनको ख़त्म करने का अपने अंदर की बुराइयो को ख़त्म करने का।।प्रभु श्री राम ने भी इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु धरा पर जन्म लिया और हमको धर्म का पाठ कराया।।महंत यंगेश्वर जी का कथन और भाव की अभिव्यक्ति इसी बात को लेकर होगी।।ईश्वर विरोधी नही।।

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  2. मेरे बड़े भैया....रावण महान था यह बात निशंदेह है और धर्म के अनुसार रावण ने अपनी मुक्ति प्राप्ति हेतु यह कार्य किया जब ही प्रभु श्री राम ने अपने अनुज लक्षमन से उनको प्रणाम कर आशीर्वाद के लिए बोला।।यह त्यौहार का अर्थ है जो मानव के अंदर रावण रूपी अंहकार रूपी बीमारियां है उनको ख़त्म करने का अपने अंदर की बुराइयो को ख़त्म करने का।।प्रभु श्री राम ने भी इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु धरा पर जन्म लिया और हमको धर्म का पाठ कराया।।महंत यंगेश्वर जी का कथन और भाव की अभिव्यक्ति इसी बात को लेकर होगी।।ईश्वर विरोधी नही।।

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