हुजूर किसी vip मौत की राह तो नहीं देख रहे.
हुजूर किसी vip मौत की राह तो नहीं देख रहे...
पिपरिया--एक जिला कलेक्टर की बीमार माँ एम्बुलेंस के आभाव में मर जाती हैं।तब जाकर कलेक्टर को अहसास होता हैं की सरकारी सिस्टम से लोग कितने परेशान हैं। पिपरिया में भी mpeb की लापरवाही के चलते कई मौत हो गई पर सिस्टम को चलाने वालों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।लगता हैं यंहा भी इसको सुधारने के लिए किसी vip मौत का इंतजार हो रहा हैं।अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य का सपना संजोये एक पिता रोज सुबह अपने गांव से 4 किलोमीटर दूर पिपरिया के इंग्लिश स्कूल में बेटे को पढ़ाने के लिए हर मौसम में मोटर साईकल से आया जाया करता था। परंतु उसे क्या मालूम था की शुक्रवार की सुबह वह और उसके 8 साल के बेटे की जिंदगी की यह आखिरी सुबह होगी।पचमढ़ी रोड "मधुवन फार्म" हाउस के पास जैसे ही पिता पुत्र की बाईक पहुँची ऊपर से काल बनकर गिरे बिजली तारों ने दोनों की जान एक साथ ही ले ली वही 1 युवक गंभीर घायल हो गया।मौके पर देखा गया की बिजली तार नियमानुसार सड़क पार नहीं कर रहे थे।अगले दिन पिता-पुत्र की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी की फिर राईखेडी गांव से ख़बर आई की 23 साल के एक युवक की खेत में लटक रहे बिजली तारों ने जान ले ली हैं युवक खेत से चारा काट कर आ रहा था।उसके सर पर रखे गट्ठे में फंसे हासिये से बिजली करंट शरीर में उतर गया।जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।दोनों ही मामलो में जनप्रतिनिधियों ने 4-4 लाख रुपए के मुआवजे के मलहम लगा मामले को ठंडा कर दिया हैं।ऐसे ही कुछ दिनों पहले mpeb के भरस्टाचार से तंग आ कर पचलावरा गांव के कोटवार ने मिट्टी तेल डालकर आत्म हत्या कर ली।जबकी इस मामले में कोटवार ने अस्पताल में पुलिस को दिए अपने बयान में mpeb के JE और DE को आत्म हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था परंतु राजनैतिक संरक्षण के चलते इन mpeb अधिकारीयों को ना तो पिपरिया से हटाया गया और ना ही इनको थाने में कोई बयान लेने बुलाया गया।वही पिछले कई दिनों से पिपरिया विधानसभा में स्थित बनखेडी के विभिन्न गाँवो में आधा दर्जन किसान mpeb की लापरवाही के चलते अपनी जान से हाथ धो चुके हैं।परंतु इन सब मामलों में भी इलाके के जनप्रतिनिधियों का मौन धारण करना जनता की समझ से परें नजर आ रहा हैं।वही लोगो का कहना हैं की प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नजर में आम जनता की जान की कोई कीमत नहीं हैं। लगता हैं यह लोग बिजली करंट से किसी अधिकारी या फिर नेता के परिजन की मौत की राह देख रहे हैं फिर शायद यह सिस्टम सुधर सकें।
पिपरिया--एक जिला कलेक्टर की बीमार माँ एम्बुलेंस के आभाव में मर जाती हैं।तब जाकर कलेक्टर को अहसास होता हैं की सरकारी सिस्टम से लोग कितने परेशान हैं। पिपरिया में भी mpeb की लापरवाही के चलते कई मौत हो गई पर सिस्टम को चलाने वालों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।लगता हैं यंहा भी इसको सुधारने के लिए किसी vip मौत का इंतजार हो रहा हैं।अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य का सपना संजोये एक पिता रोज सुबह अपने गांव से 4 किलोमीटर दूर पिपरिया के इंग्लिश स्कूल में बेटे को पढ़ाने के लिए हर मौसम में मोटर साईकल से आया जाया करता था। परंतु उसे क्या मालूम था की शुक्रवार की सुबह वह और उसके 8 साल के बेटे की जिंदगी की यह आखिरी सुबह होगी।पचमढ़ी रोड "मधुवन फार्म" हाउस के पास जैसे ही पिता पुत्र की बाईक पहुँची ऊपर से काल बनकर गिरे बिजली तारों ने दोनों की जान एक साथ ही ले ली वही 1 युवक गंभीर घायल हो गया।मौके पर देखा गया की बिजली तार नियमानुसार सड़क पार नहीं कर रहे थे।अगले दिन पिता-पुत्र की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी की फिर राईखेडी गांव से ख़बर आई की 23 साल के एक युवक की खेत में लटक रहे बिजली तारों ने जान ले ली हैं युवक खेत से चारा काट कर आ रहा था।उसके सर पर रखे गट्ठे में फंसे हासिये से बिजली करंट शरीर में उतर गया।जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।दोनों ही मामलो में जनप्रतिनिधियों ने 4-4 लाख रुपए के मुआवजे के मलहम लगा मामले को ठंडा कर दिया हैं।ऐसे ही कुछ दिनों पहले mpeb के भरस्टाचार से तंग आ कर पचलावरा गांव के कोटवार ने मिट्टी तेल डालकर आत्म हत्या कर ली।जबकी इस मामले में कोटवार ने अस्पताल में पुलिस को दिए अपने बयान में mpeb के JE और DE को आत्म हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था परंतु राजनैतिक संरक्षण के चलते इन mpeb अधिकारीयों को ना तो पिपरिया से हटाया गया और ना ही इनको थाने में कोई बयान लेने बुलाया गया।वही पिछले कई दिनों से पिपरिया विधानसभा में स्थित बनखेडी के विभिन्न गाँवो में आधा दर्जन किसान mpeb की लापरवाही के चलते अपनी जान से हाथ धो चुके हैं।परंतु इन सब मामलों में भी इलाके के जनप्रतिनिधियों का मौन धारण करना जनता की समझ से परें नजर आ रहा हैं।वही लोगो का कहना हैं की प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नजर में आम जनता की जान की कोई कीमत नहीं हैं। लगता हैं यह लोग बिजली करंट से किसी अधिकारी या फिर नेता के परिजन की मौत की राह देख रहे हैं फिर शायद यह सिस्टम सुधर सकें।
Leave a Comment